Devara Movie Reviews: ऊँची उम्मीदें, लेकिन निराशाजनक परिणाम
तो यार, इंडिया में लंबे समय बाद एक पानी के अंदर चलने वाली मास फिल्म बनी है। यह कॉन्सेप्ट सोचने में बड़ा मजेदार लगता है, और जब फिल्म का बजट लगभग 300 करोड़ बताया जाए और उसका फेस जूनियर एनटीआर जैसे ‘मैन ऑफ मासेस’ को बनाया जाए, मतलब इंडियन सिनेमा बदलने वाला है। इसका सबूत फिल्म की डे वन एडवांस बुकिंग है, जो सिर्फ इंडियन मार्केट में 50 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाती है। इतना तो आजकल मूवीज़ का लाइफटाइम कलेक्शन भी नहीं होता।
Devara Movie Reviews: पहले दिन की बुकिंग और उम्मीदें
अरे, फिल्म का सिर्फ डे वन बिजनेस सेंचुरी तो 100% मारेगा। लोग तो 150 करोड़ तक की उम्मीद लगाए बैठे हैं। मतलब, 2024 में तेलुगु सिनेमा रूल करेगा, ऐसा सबको लग रहा था। लेकिन, पूरे 3 घंटे की फिल्म देखने के बाद सिर्फ एक बात बोलूंगी—बेवकूफ बनाया गया हम लोगों को, वो भी बहुत बुरे तरीके से। देवरा रिलीज़ हो गई है, तेलुगु सिनेमा से निकलने वाला ‘न्यूक्लियर बॉम्ब’, जिससे उम्मीदें थीं कि कल की के रिकॉर्ड्स क्रैक हो जाएंगे, और दिसंबर में आने वाली पुष्पा के लिए नया टारगेट सेट कर जाएंगे एनटीआर बाबू।
Devara Movie Reviews: कहानी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी
लेकिन ऐसा हुआ या नहीं? मेरा जवाब काफी लोगों को गुस्सा दिला देगा। आराम से सुनो—कहानी रेड सी की है, लाल समंदर, जहाँ पानी की जगह खून बहता है। मछलियाँ तो अंदर हैं ही, बोनस में हड्डियों के कंकाल भी रहते हैं। डर की कहानी है, जिसके पीछे सिर्फ एक नाम है—देवरा, जो समुंदर की रक्षा करता है और उसमें उतरने वाले बुरे लोगों का सफाया कर देता है।
Devara Movie Reviews: रहस्यमयी पात्र और प्लॉट ट्विस्ट
लेकिन, इंटरेस्टिंग बात यह है कि देवरा को पिछले 10-12 सालों में किसी ने देखा नहीं है। तो फिर पानी के बीच जहाज पर खड़ा यह भूत किसका हो सकता है? भूत से याद आया, इस कहानी में एक शैतान भी है, जो ताकत में देवरा के बराबर है, लेकिन दिमाग 10 सिर वाले रावण से भी तेज़ चलता है। देवरा और उसका डर दोनों को मिटाना है, यह ‘बहरा भैया’ ने ठाना है।
Devara Movie Reviews: हीरो-विलन संघर्ष कमजोर साबित हुआ
लेकिन एक प्रॉब्लम है—देवरा सही हो या ना हो, उसकी शक्ल रोज़ देखनी पड़ती है। जूनियर एनटीआर, मतलब जूनियर देवरा, अपने पापा के प्रेशर को झेल नहीं पाया और खुद चलकर बहरा भैया की टीम में शामिल हो गया। हीरो वर्सेस विलन का स्कोप ही नहीं बचता है, क्योंकि पापा से खुद नफरत करता है उसका बेटा। तो फिर क्लाइमैक्स में ऐसा क्या हुआ जिससे सबको बाहुबली की याद आ गई? ये अचानक से पलटी मारना किसी को पसंद नहीं आया होगा।
Devara Movie Reviews: एक्शन सीक्वेंस बेहतरीन, लेकिन कहानी में दोहराव
दोस्त, अच्छी बातें बताऊं? अंडरवाटर सीन्स कमाल के हैं। पानी के अंदर फाइट सीन्स बढ़िया तरीके से शूट किए गए हैं। शिप वाला एक्शन कुछ यूनिक लगा। यह सीन थिएटर में देखते टाइम मजा आ गया। एक्शन सीन्स को बढ़िया बनाने की कोशिश बहुत की गई है, जिसमें एनटीआर ने फुल कंट्रीब्यूट किया है। बस, ये अंडरवाटर सीक्वेंस और एक्शन—ये दोनों चीजें देवरा से माइनस कर दोगे, तो फिल्म में देखने लायक कुछ भी नहीं बचेगा।
Devara Movie Reviews: कहानी में नयापन और गहराई की कमी
स्टोरीलाइन बहुत ज्यादा रिपिटेटिव है, बहुत पुरानी लग रही है। शायद देवरा 1994 में रिलीज़ होती, तो ऑडियंस को लगता कि कुछ अलग और नया देखा है। लेकिन आज के समय में फादर-सन डबल रोल वाले कैरेक्टर्स बहुत कॉमन हो गए हैं। लोगों को बिल्कुल मजा नहीं आता, जब तक कहानी में ट्विस्ट न हो। ढाई घंटे लंबी फिल्म उसी पैटर्न में बनाई गई है, जिन साउथ मूवीज़ का मजाक उड़ाया जाता है।
Devara Movie Reviews: बाहुबली से तुलना, लेकिन पीछे रह गई
यहां का राजा दुनिया का रखवाला, यह सुनकर कान में वही पुरानी बातें सुनाई देंगी। ये लोग क्यों नहीं समझते कि सिर्फ एक आदमी को बड़ा बनाने से फिल्म प्रेडिक्टेबल हो जाती है? आप विलन को भी हीरो के बराबर दिखाओ, तभी तो फेस-ऑफ में मजा आएगा। वैसे, काफी लोग जिन्होंने फिल्म देखी है, वो नोटिस कर चुके होंगे कि देवरा और बाहुबली में काफी समानताएं हैं।
Devara Movie Reviews: एक बार देखी जा सकने वाली फिल्म, लेकिन प्रभाव छोड़ने में नाकाम
दोस्त, पार्ट 2 का हिंट भी डाला गया है, कुछ उसी तरह। लेकिन माफ़ करना, देवरा उस लेवल को मैच नहीं कर पाई, जितनी उम्मीद पब्लिक ने आरआरआर के बाद एनटीआर के कमबैक से लगाई थी। D फॉर देवरा, D फॉर धोखा। लेकिन हां, फिल्म को थिएटर में देख रहे हो, तो वन-टाइम वॉच ठीक है। अगर कोई इसे डिजास्टर या वर्स्ट फिल्म ऑफ द ईयर कहेगा, तो वो भी झूठ होगा।
Devara Movie Reviews: दमदार परफॉर्मेंस, लेकिन मास अपील की कमी
ओके, जूनियर एनटीआर की एक्टिंग ठीक-ठाक है। मतलब जैसा उनका टाइटल है ‘मैन ऑफ मासेस’, वैसा कुछ फील नहीं हुआ। मैं पर्सनली वेट कर रही थी किसी आरआरआर टाइप के मासी सीन का। सैफ अली खान तेलुगु ऑडियंस के लिए सरप्राइज बनकर आए हैं। उनका इविल स्क्रीन प्रेज़ेंस जबरदस्त है। डायलॉग्स हों या न हों, सिर्फ आंखों से एक्टिंग कर सकते हैं ये आदमी।
Devara Movie Reviews: कमजोर फीमेल लीड और फिल्म का कुल मिलाकर निष्कर्ष
और हां, जान्हवी कपूर को इस फिल्म में इग्नोर कर सकते हो, जैसे मैंने इस रिव्यू में किया है। उनका फिल्म में इंपॉर्टेंस डबल-जीरो है। तो यार, देवरा एक एवरेज फिल्म है। ना बहुत बढ़िया, ना बहुत घटिया। थिएटर में एक बार देखने लायक है, लेकिन 3 घंटे लंबी फिल्म हर किसी से नहीं झेली जाएगी।